तंजावूर का राजराजेश्वर मंदिर
तंजावूर के राजराजेश्वर मंदिर का शिखर, उस समय के मंदिरों में सबसे ऊँचा था। इसका निर्माण कार्य आसान नहीं था, क्योंकि उन दिनों कोई क्रेन नहीं थी।
शिखर के शीर्ष पर 90 टन का पत्थर ले जाना इतना भारी होता था कि उसे व्यक्ति अपनेआप उठाकर नहीं ले जा सकते थे। इसलिए इस काम के लिए वास्तुकारों ने मंदिर के शीर्ष तक पहुँचने के लिए चढ़ाईदार रास्ता बनवाया।
रोलरों द्वारा भारी पत्थरों को इस रास्ते से ऊपर ले जाया गया। इस काम के लिए चार किलोमीटर से ज्यादा लंबा पथ तैयार किया जाता था, जिससे चढ़ाई बहुत खड़ी न हो। मंदिर बन जाने के बाद इसे गिरा दिया गया, लेकिन उस क्षेत्र के लोगों ने मंदिर निर्माण के अनुभव को काफी लंबे समय तक याद रखा।
आज भी मंदिर के पास के एक गाँव को चारूपल्लम कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - चढ़ाईदार रास्ते का गाँव।