आरंभिक नगर हड़प्पा की कहानी


अक्सर पुरानी इमारत अपनी कहानी बताती है। लगभग 150 साल पहले जब पंजाब में पहली बार रेलवे लाइनें बिछाई जा रही थीं, तो इस काम में जुटे इंजीनियरों को अचानक हड़प्पा पुरास्थल मिला, जो आधुनिक पाकिस्तान में है।

उन्होंने सोचा कि यह एक ऐसा खंडहर है, जहाँ से अच्छी ईंटें मिलेंगी। यह सोचकर वे हड़प्पा के खंडहरों से हजारों ईंटें उखाड़ ले गए जिससे उन्होंने रेलवे लाइनें बिछाईं। इससे कई इमारतें पूरी तरह नष्ट हो गईं। उसके बाद लगभग 80 साल पहले पुरातत्त्वविदों ने इस स्थल को ढूँढ़ा और तब पता चला कि यह खंडहर उपमहाद्वीप के सबसे पुराने शहरों में से एक है। चूँकि इस नगर की खोज सबसे पहले हुई थी, इसीलिए बाद में मिलने वाले इस तरह के सभी पुरास्थलों में जो इमारतें और चीजें मिलीं उन्हें हड़प्पा सभ्यता की इमारतें कहा गया। इन शहरों का निर्माण लगभग 4700 साल पहले हुआ था।


इन नगरों की विशेषता क्या थी?


इन नगरों में से कई को दो या उससे ज्यादा हिस्सों में विभाजित किया गया था। प्रायः पश्चिमी भाग छोटा था लेकिन ऊँचाई पर बना था और पूर्वी हिस्सा बड़ा था लेकिन यह निचले इलाके में था। ऊँचाई वाले भाग को पुरातत्त्वविदों ने नगर-दुर्ग कहा है और निचले हिस्से को निचला-नगर कहा है। दोनों हिस्सों की चारदीवारियाँ पकी ईंटों की बनाई जाती थीं।

इसकी ईंटें इतनी अच्छी थीं कि हजारों सालों बाद आज तक उनकी दीवारें खड़ी रहीं। दीवार बनाने के लिए ईंटों की चिनाई इस तरह करते थे जिससे कि दीवारें खूब मजबूत रहें। कुछ नगरों के नगर-दुर्ग में कुछ खास इमारतें बनाई गई थीं। मिसाल के तौर पर मोहनजोदड़ो में खास तालाब बनाया गया था, जिसे पुरातत्त्वविदों ने महान स्नानागार कहा है। इस तालाब को बनाने में ईंट और प्लास्टर का इस्तेमाल किया गया था। इसमें पानी का रिसाव रोकने के लिए प्लास्टर के ऊपर चारकोल की परत चढ़ाई गई थी। इस सरोवर में दो तरफ़ से उतरने के लिए सीढ़ियाँ बनाई गई थीं, और चारों ओर कमरे बनाए गए थे। इसमें भरने के लिए पानी कुएँ से निकाला जाता था, उपयोग के बाद इसे खाली कर दिया जाता था। शायद यहाँ विशिष्ट नागरिक विशेष अवसरों पर स्नान किया करते थे।



ये नगर आधुनिक पाकिस्तान के पंजाब और सि्ांध प्रांतों, भारत के गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब प्रांतों में मिले हैं। इन सभी स्थलों से पुरातत्त्वविदों को अनोखी वस्तुएँ मिली हैं: जैसे मिट्टी लाल बर्तन जिन पर काले रंग के चित्र बने थे, पत्थर के बाट, मुहरें, मनके, ताँबे के उपकरण और पत्थर के लंबे ब्लेड आदि।


No comments:



Recent Posts :

Powered by Blogger.