इस्लामी कैलेंडर : मौसम के अनुरूप क्यों नहीं होता ?
इस्लामिक त्योहार, जिनमें रमज़ान के रोजे, ईद और हज शामिल हैं, मौसम के अनुरूप क्यों नहीं होता ? इसके जवाब हम इस्लामिक कैलेंडर को समझ कर जान सकते है।
हिजरी सन् की स्थापना उमर की खिलाफत के समय की गई थी, जिसका पहला वर्ष 622 ई- में पड़ता था। हिजरी सन् की तारीख को जब अंग्रेज़ी में लिखा जाता है तो वर्ष के बाद AH लगाया जाता है। हिजरी वर्ष चन्द्र वर्ष है, जिसमें 354 दिन, 29 अथवा 30 दिनों के 12 महीने (मुहर्रम से धुल हिज्जा तक) होते हैं।
हिजरी सन् की स्थापना उमर की खिलाफत के समय की गई थी, जिसका पहला वर्ष 622 ई- में पड़ता था। हिजरी सन् की तारीख को जब अंग्रेज़ी में लिखा जाता है तो वर्ष के बाद AH लगाया जाता है। हिजरी वर्ष चन्द्र वर्ष है, जिसमें 354 दिन, 29 अथवा 30 दिनों के 12 महीने (मुहर्रम से धुल हिज्जा तक) होते हैं।
प्रत्येक दिन सूर्यास्त के समय से और प्रत्येक महीना अर्धचन्द्र के दिन से शुरू होता है। हिजरी वर्ष सौर वर्ष से 11 दिन कम होता है। अतः हिजरी का कोई भी धार्मिक त्योहार, जिनमें रमज़ान के रोजे, ईद और हज शामिल हैं, मौसम के अनुरूप नहीं होता।
हिजरी कैलेंडर की तारीखों को ग्रैगोरियन कैलेंडर (जिसकी स्थापना पोप ग्रैगरी 13वें द्वारा 1582 ई- में की गई थी) की तारीखों के साथ मिलाने का कोई सरल तरीका नहीं है। इस्लामी (एच) और ग्रैगोरियन क्रिश्चियन (सी) वर्षों के बीच मोटे रूप से समानता की गणना निम्नलिखित फार्मूलों से की जा सकती हैः
हिजरी कैलेंडर की तारीखों को ग्रैगोरियन कैलेंडर (जिसकी स्थापना पोप ग्रैगरी 13वें द्वारा 1582 ई- में की गई थी) की तारीखों के साथ मिलाने का कोई सरल तरीका नहीं है। इस्लामी (एच) और ग्रैगोरियन क्रिश्चियन (सी) वर्षों के बीच मोटे रूप से समानता की गणना निम्नलिखित फार्मूलों से की जा सकती हैः
(एच × 32/33) + 622 = सी
(सी - 622) × 33/32 = एच
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