Globalization क्या है? कुछ कहानियों से समझें वैश्वीकरण की अवधारणा को (the concept of Globalization)


Hello दोस्तों पिछली बार मैंने आपको एक कहानी सुनाई थी कांता की जो असमानता पर आधारित थी भारत में समानता ... सिर्फ मताधिकार की या... कहानी का प्रारंभ एक महिला (कांता) के वोट देने की लाइन में खड़े होने से होता है। 

आज फिर कुछ कहानियाँ ....


पहली कहानी ---- शुरू होती है जनार्दन से जो एक कॉल-सेंटर में काम करता है। वह देर दोपहर में काम के लिए निकलता है दफ्तर में घुसने के साथ ही वह जॉन बन जाता है। नया लहजा अख़्तियार कर लेता है और हजारों किलोमीटर दूर बसे अपने ग्राहकों से बात करने के लिए एक नयी भाषा बोलने लगता है। अपने घर में वह न तो यह भाषा और न ही इस लहजे में बोलता है। वह सारी रात काम करता है जो दरअसल उसके विदेशी ग्राहकों के लिए दिन का समय होता है। जनार्दन एक ऐसे आदमी को अपनी सेवा प्रदान कर रहा है जिससे बहुत संभव है, वह कभी आमने-सामने की मुलाकात न कर सके। यही उसकी दिनचर्या है। जनार्दन की छुट्टियाँ भी भारतीय कैलेंडर से नहीं बल्कि अमरीका के कैलेंडर से मेल खाती हैं जहाँ उसके ग्राहक रहते हैं।

दूसरी कहानी ---- अपनी नौ वर्षीया बेटी को जन्मदिन का उपहार देने के लिए रामधारी बाजार गया है। उसने अपनी बेटी को एक छोटी-सी साइकिल उपहार में देने का वायदा किया है। रामधारी ने बाजार में जाकर ऐसी साइकिल ढूँढ़ने का फ़ैसला किया जो उसे कीमत के लिहाज से जँच जाए और कुछ उम्दा क्वालिटी की हो। उसने आखिरकार एक साइकिल खरीदी जो बनी तो चीन में थी लेकिन बिक भारत में रही है। इस साइकिल की कीमत रामधारी की जेब को मन माफ़िक पड़ी और क्वालिटी भी उसे जँच गई। रामधारी ने इसे खरीदने का फ़ैसला किया। 
पिछले साल अपनी बेटी की जिद पर रामधारी ने उसे बार्बी डॉल खरीदकर दिया था जो दरअसल संयुक्त राज्य अमरीका में बनी थी और भारत में बिक रही थी। 


तीसरी कहानी ---- सारिका अपने परिवार में पहली पीढ़ी की शिक्षित है। कठिन मेहनत के बूते स्कूल और कॉलेज में वह अव्वल साबित हुई। अब उसे नौकरी करने और एक स्वतंत्र welfare की शुरुआत करने का अवसर हाथ लगा है। ऐसे अवसर के बारे में उसके परिवार की महिलाएँ सोच भी नहीं सकती थीं। सारिका के रिश्तेदारों में से कुछ इस नौकरी का विरोध कर रहे हैं लेकिन सारिका ने आखिरकार यह नौकरी करने का फ़ैसला किया क्योंकि उसकी पीढ़ी के नौजवानों के सामने नये अवसर मौजूद हैं।



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ये तीनों कहानियाँ या यूं कहे कि उदाहरण वैश्वीकरण  का एक न एक पहलू दिखाते हैं। 

पहले उदाहरण में जनार्दन सेवाओं के वैश्वीकरण में हिस्सेदारी कर रहा है। रामधारी जन्मदिन के लिए जो उपहार खरीद रहा है उसमें हमें विश्व के एक भाग से दूसरे भाग में वस्तुओं की आवाजाही का पता चलता है। सारिका के सामने जीवन-मूल्यों के बीच दुविधा की स्थिति है। यह दुविधा अंशतः उन अवसरों के कारण पैदा हुई है जो उसके परिवार की महिलाओं को पहले उपलब्ध नहीं थे लेकिन आज वे एक सच्चाई हैं और जिन्हें व्यापक स्वीकृति मिल रही है।

यदि हम वास्तविक जीवन में ‘वैश्वीकरण’ (Globalization) शब्द के इस्तेमाल को परखें तो पता चलेगा कि इसका इस्तेमाल कई तरह के संदर्भों में होता है। नीचे कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं। इन्हें देखिए, ये उदाहरण ऊपर के उदाहरणों से कुछ अलग हैं 



  • फसल के मारे जाने से कुछ किसानों ने आत्महत्या कर ली। इन किसानों ने एक बहु अंतरराष्ट्रीय कंपनी से बड़े महंगे बीज खरीदे थे। 
  • यूरोप स्थित एक बड़ी और अपनी प्रतियोगी कंपनी को एक भारतीय कंपनी ने खरीद लिया जबकि खरीदी गई कंपनी के मालिक इस खरीददारी का विरोध कर रहे थे।
  • अनेक खुदरा दुकानदारों को भय है कि अगर कुछ बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने देश में खुदरा दुकानों की अपनी शृंखला खोल ली तो उनकी रोजी-रोटी मिट जाएगी।
  • मुम्बई के एक फिल्म-निर्माता पर आरोप लगे कि उसने हॉलीवुड में बनी एक फिल्म की कहानी उठाकर अपनी फिल्म बना ली है। 
  • पश्चिमी परिधान पहनने वाली कॉलेज की छात्राओं को एक उग्रवादी संगठन ने अपने एक बयान में धमकी दी है। 

ये उदाहरण हमें बताते हैं कि वैश्वीकरण हर अर्थ में सकारात्मक ही नहीं होता, लोगों पर इसके दुष्प्रभाव भी पड़ सकते हैं। दरअसल ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जो मानते हैं कि वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव कम और नकारात्मक प्रभाव ज्यादा हैं। 

वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। इसके राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अवतार हैं और इनके बीच ठीक-ठीक भेद किया जाना चाहिए। यह मान लेना गलत है कि वैश्वीकरण केवल आर्थिक परिघटना है।


ठीक इसी तरह यह मान लेना भी भूल होगी कि वैश्वीकरण एकदम सांस्कृतिक परिघटना है। वैश्वीकरण का प्रभाव बड़ा विषम रहा है यह कुछ समाजों को बाकियों की अपेक्षा और समाज के एक हिस्से को बाकी हिस्सों की अपेक्षा ज्यादा प्रभावित कर रहा है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि विशिष्ट संदर्भों पर पर्याप्त ध्यान दिए बिना हम वैश्वीकरण के प्रभाव के बारे में सर्व-सामान्य निष्कर्ष निकालने से परहेज करें।




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