मार्टिन लूथर और धर्मसुधार आंदोलन


सोलहवीं सदी का समय यूरोप में भी एक धार्मिक अंतःक्षोभ यानी उथल-पुथल का काल था, तब ईसाई धर्म में अनेक परिवर्तन हुए, जिन्हें लाने वाले महत्त्वपूर्ण नेताओं में से एक थे मार्टिन लूथर (1483-1546)। 

लूथर ने यह महसूस किया कि रोमन कैथोलिक चर्च के अनेक आचार-व्यवहार बाइबिल की शिक्षाओं के विरुद्ध जाते हैं। लूथर ने लैटिन भाषा की बजाय आम लोगों की भाषा के प्रयोग को प्रोत्साहन दिया और बाइबिल का जर्मन भाषा में अनुवाद किया। वे दंडमोचन की उस प्रथा के घोर विरोधी थे, जिसके अंतर्गत पापकर्मों को क्षमा कराने के लिए चर्च को दान दिया जाता था। 

छापेखाने के बढ़ते हुए प्रयोग से उनकी रचनाओं का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार हुआ। अनेक प्रोटेस्टैंट ईसाई संप्रदाय अपना उद्भव लूथर की शिक्षाओं में ही खोजते हैं।

मार्टिन लूथर और धर्मसुधार आंदोलन



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