भारतीय खाद्य निगम और इसे मिलने वाली सब्सिडी
हम सभी ये जानते है कि भारत की खाद्य सुरक्षा नीति का प्राथमिक उद्देश्य सामान्य लोगों को खरीद सकने योग्य कीमतों पर खाद्यान्नों की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है जिससे निर्धन भोजन प्राप्त करने में समर्थ हो सके। भारत सरकार की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली (NFSA) की रचना समाज के सभी वर्गों को खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए की गयी है।
भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India - FCI) का मुख्य कार्य खाद्यान्नों की खरीद, भंडारण की व्यवस्था तथा वितरण हेतु राज्य सरकारों को उपलब्ध कराना है। ताकि राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत खाद्यान्न अलग अलग योजनाओं में जनता तक पहुंचाया जा सके। भारतीय खाद्य निगम ये भी व्यवस्था करती है की अगर किसी राज्य में खाद्यान्न का पैदावार कम या नहीं है तो दूसरे राज्यों से अनाज उस राज्य में पहुंचाया जा सके ताकि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो।
अब जरा गौर कीजिए कि सरकार कहती है कि 1510 रुपये में खरीदो और 3 रुपये में बेचो। फिर जो प्रति क्विंटल 1507 रुपये का घाटा हुआ उसे सरकार FCI को देती है यानी प्रति क्विंटल जो nett loss हुआ उसे भारत सरकार सब्सिडी के नाम पर FCI को देती है।
भारतीय खाद्य निगम जो, राष्ट्र को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम करती है, 1965 में निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए खाद्य निगम अधिनियम 1964 के अंतर्गत अस्तित्व में आया था:
- किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रभावी समर्थन मूल्य प्रदान करने के लिए,
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए पूरे देश में खाद्यान्नों को वितरित करने के लिए, और
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्यान्न के संचालन और बफर स्टॉक के संतोषजनक स्तर को बनाए रखने के लिए।
The Food Corporation of India (FCI) was incorporated under the Food Corporation Act, 1964 with the function of undertaking purchase, storage, movement, transportation, distribution and sale of food grains on behalf of the Government of India (GOI) with tagline “Ensuring Food Security to the Nation”.
भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India - FCI) का मुख्य कार्य खाद्यान्नों की खरीद, भंडारण की व्यवस्था तथा वितरण हेतु राज्य सरकारों को उपलब्ध कराना है। ताकि राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत खाद्यान्न अलग अलग योजनाओं में जनता तक पहुंचाया जा सके। भारतीय खाद्य निगम ये भी व्यवस्था करती है की अगर किसी राज्य में खाद्यान्न का पैदावार कम या नहीं है तो दूसरे राज्यों से अनाज उस राज्य में पहुंचाया जा सके ताकि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो।
FCI भारत सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर किसानों से खाद्यान्न प्राप्त करती है और फिर भारत सरकार द्वारा निर्धारित मूल्यों पर राज्य सरकार को निर्गत कर देती है। यहां एक बात जानने योग्य ये है कि खरीद हेतु घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तथा निर्गत करने हेतु निर्धारित मूल्य में काफी अंतर होता है। जैसे 2016-17 में चावल का MSP 1510 रुपये और NFSA के अंतर्गत निर्गत करने के लिए निर्धारित मूल्य 3 रुपये था।
अब जरा गौर कीजिए कि सरकार कहती है कि 1510 रुपये में खरीदो और 3 रुपये में बेचो। फिर जो प्रति क्विंटल 1507 रुपये का घाटा हुआ उसे सरकार FCI को देती है यानी प्रति क्विंटल जो nett loss हुआ उसे भारत सरकार सब्सिडी के नाम पर FCI को देती है।
भारतीय खाद्य निगम (एफ सी आई) के बारे में लोग ये जानते है कि ये सरकार द्वारा प्राप्त सब्सिडी पर चलती है, परंतु उपर्युक्त बिंदुओं से आप ये अंदाजा लगा सकते है कि क्या FCI को मिलने वाला सब्सिडी सच में FCI को ही मिलती है? हम ये कह सकते है कि सरकार गरीबों को 1510 रुपये वाला चावल 3 रुपये में FCI द्वारा उपलब्ध करवाती है तथा जो differential रकम है उसे FCI को देती है यानी सब्सिडी FCI को नही बल्कि जनता के उन वर्गों को देती है जिसे 3 रुपये में अनाज प्राप्त होता है।
ये भी जानिए...भारत सरकार की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली (NFSA)
1510rs quintal mein khrida jaata hai aur 3rs kg mein becha jaata hai...so net loss become 1510-300=1210rs jo subsidy k roop mein fci Ko milti hai
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