आइडियल पैलेस फ्रांस : जिसे सड़क पर पड़े पत्थरों से एक पोस्टमैन फर्डिनेंड शेवल (Ferdinand Cheval) ने 33 साल में बनाया
फर्डीनांद शेवल (Ferdinand Cheval), जिन्होंने अपने हौसलों के दम पर अकेले ही पत्थरों के ढेर पर महल खड़ा कर दिया था. ये वही महल है, जिसे आज दुनिया The Postman Ferdinand Cheval's Ideal Palace (The Palais Idéal) के नाम से जानती है. इसका अर्थ है 'एक आदर्श महल.'
चौंकाने वाली बात यह है कि फर्डीनांद शेवल सिर्फ एक पोस्टमैन थे और उन्हें वास्तुकला का बिलकुल भी अनुभव नहीं था. फिर भी उन्होंने यह महल उनके रस्ते में आने वाले पत्थरों को इकट्ठा करके बनाया था. आखिर कैसे उन्होंने इस दुनिया को अचंभित कर देने वाली इमारत का निर्माण किया –
फर्डीनांद शेवल का जन्म 1836 को फ्रांस के दक्षिण-पूर्व में स्थित चार्म्स के एक किसान परिवार में हुआ था. जब शेवल 13 साल के हुए तो उन्होंने कुछ अलग करने की चाह में स्कूल छोड़ दिया और एक बेकरी में काम करने लगे थे. इसके बाद भी उनका मन वहां नहीं लगा और वो नई-नई नौकरियों में हाथ आजमाने लगे. अंत में वह एक पोस्टमैन की नौकरी करने लगे. हालांकि, उनकी ये नौकरी इतनी आसान नहीं थी. उनके पास आने-जाने का कोई साधन नहीं था. इसलिए लोगों को उनके पत्र देने के लिए रोजाना वह करीब 18 मील पैदल चलते थे.
सन 1879 को वह घटना घटी, जिसने फर्डीनांद के सपने को हकीकत में बदलने का काम किया. जब वह चिट्ठी बांटने के लिए अपने 18 मील लंबे रस्ते से जा रहे थे, अचानक एक पत्थर से टकराकर गिर पड़े. जब उन्होंने पीछे मुड़कर उस पत्थर को देखा, उन्हें वह पत्थर इतना अच्छा लगा कि वो उसे जेब में डालकर चल दिए. घर पहुंचकर उन्होंने उस पत्थर को अपनी जेब से निकाला और फिर उसे गौर से देखने लगे. मानो वो इस पत्थर में कोई चेहरा देख रहे हों.
उस पत्थर की विशेष आकृति को देखकर उन्हें अपना महल बनाने के सपने को पूरा करने की एक प्रेरणा मिली. और फिर उन्होंने इस सपने को पूरा करने की ठानी. उस दिन के बाद से उन्होंने रोज अपने सफर के दौरान ऐसे ही अजीब पत्थरों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. अब उनके पास बड़ी संख्या में रोज पत्थर इकट्ठे होने लगे. वह उनको एक जगह जमा कर कुछ बनाने की कोशिश करने लगे.
फर्डीनांद ने अपनी जिंदगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा इस काम में लगा दिया. पहले तो वह सिर्फ जेब में ही पत्थर इक्कट्ठा करते, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने पत्थर जमा करने के लिए एक बास्केट और फिर एक पहिया ठेला (trolley) का इस्तेमाल शुरू कर दिया. हालांकि लोगों के लिए एक पोस्टमैन के द्वारा रोज ठेले पर पत्र बांटना हास्यास्पद था, लेकिन फर्डीनांद शेवल इस बात से निराश नहीं हुए. इसमें पत्रों को पहुंचाने के बाद घर वापस आते समय वह पत्थर भरकर ले आते थे.
असल में उन्होंने 1888 तक अपने सपने को साकार करने का काम शुरू भी नहीं किया था. अगले एक दशक तक वह पत्थर जमा करने में लगे रहे. इसके बाद लगभग 20 साल और पत्थर एकत्रित करने में लगाए, ताकि उनका सपनों का महल तैयार हो सके.
वह अपने सपने को पूरा करने में लगे रहे. पत्र पहुंचाते समय वह अजीब अकार के पत्थरों को पहचानते और अपने साथ ले जाते थे. जहां वह दिन के समय पत्र बांटते हुए पत्थर इकट्ठा करते, वहीं रात में वह अपने आंगन में महल का निर्माण करते. और इस प्रकार अगले 33 सालों तक लगातार ऐसे ही काम करते हुए उन्होंने अकेले ही एक इमारत का निर्माण कर दिया. जो वास्तुकला का बेजोड़ नमूना बना.
सालों की मेहनत के बाद शेवल का महल पूरा हो चुका था जो करीब 26 मीटर लंबा और 12 मीटर ऊंचा था और साथ ही उनका जीवन भी लगभग बीत चुका था. अब वह 78 साल के हो चुके थे. और फिर इसके अगले ही साल 1924 में शेवल की मौत हो गई.
शेवल जब जिंदा थे, तो उन्होंने अपनी मेहनत से बनाई गई इस कृति का पूरा आनंद लिया और मौत के बाद उन्हें उनके बनाए "टॉम्ब ऑफ़ साइलेंस एंड एंडलैस रैस्ट" में हमेशा के लिए दफना दिया गया.
कहते है जब इंसान कुछ करने की ठान ले, तो उसके लिए मुश्किलें मायने नहीं रखतीं. ऐसी ही कहानी है फर्डीनांद शेवल की।
चौंकाने वाली बात यह है कि फर्डीनांद शेवल सिर्फ एक पोस्टमैन थे और उन्हें वास्तुकला का बिलकुल भी अनुभव नहीं था. फिर भी उन्होंने यह महल उनके रस्ते में आने वाले पत्थरों को इकट्ठा करके बनाया था. आखिर कैसे उन्होंने इस दुनिया को अचंभित कर देने वाली इमारत का निर्माण किया –
फर्डीनांद शेवल का जन्म 1836 को फ्रांस के दक्षिण-पूर्व में स्थित चार्म्स के एक किसान परिवार में हुआ था. जब शेवल 13 साल के हुए तो उन्होंने कुछ अलग करने की चाह में स्कूल छोड़ दिया और एक बेकरी में काम करने लगे थे. इसके बाद भी उनका मन वहां नहीं लगा और वो नई-नई नौकरियों में हाथ आजमाने लगे. अंत में वह एक पोस्टमैन की नौकरी करने लगे. हालांकि, उनकी ये नौकरी इतनी आसान नहीं थी. उनके पास आने-जाने का कोई साधन नहीं था. इसलिए लोगों को उनके पत्र देने के लिए रोजाना वह करीब 18 मील पैदल चलते थे.
सन 1879 को वह घटना घटी, जिसने फर्डीनांद के सपने को हकीकत में बदलने का काम किया. जब वह चिट्ठी बांटने के लिए अपने 18 मील लंबे रस्ते से जा रहे थे, अचानक एक पत्थर से टकराकर गिर पड़े. जब उन्होंने पीछे मुड़कर उस पत्थर को देखा, उन्हें वह पत्थर इतना अच्छा लगा कि वो उसे जेब में डालकर चल दिए. घर पहुंचकर उन्होंने उस पत्थर को अपनी जेब से निकाला और फिर उसे गौर से देखने लगे. मानो वो इस पत्थर में कोई चेहरा देख रहे हों.
उस पत्थर की विशेष आकृति को देखकर उन्हें अपना महल बनाने के सपने को पूरा करने की एक प्रेरणा मिली. और फिर उन्होंने इस सपने को पूरा करने की ठानी. उस दिन के बाद से उन्होंने रोज अपने सफर के दौरान ऐसे ही अजीब पत्थरों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. अब उनके पास बड़ी संख्या में रोज पत्थर इकट्ठे होने लगे. वह उनको एक जगह जमा कर कुछ बनाने की कोशिश करने लगे.
फर्डीनांद ने अपनी जिंदगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा इस काम में लगा दिया. पहले तो वह सिर्फ जेब में ही पत्थर इक्कट्ठा करते, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने पत्थर जमा करने के लिए एक बास्केट और फिर एक पहिया ठेला (trolley) का इस्तेमाल शुरू कर दिया. हालांकि लोगों के लिए एक पोस्टमैन के द्वारा रोज ठेले पर पत्र बांटना हास्यास्पद था, लेकिन फर्डीनांद शेवल इस बात से निराश नहीं हुए. इसमें पत्रों को पहुंचाने के बाद घर वापस आते समय वह पत्थर भरकर ले आते थे.
असल में उन्होंने 1888 तक अपने सपने को साकार करने का काम शुरू भी नहीं किया था. अगले एक दशक तक वह पत्थर जमा करने में लगे रहे. इसके बाद लगभग 20 साल और पत्थर एकत्रित करने में लगाए, ताकि उनका सपनों का महल तैयार हो सके.
वह अपने सपने को पूरा करने में लगे रहे. पत्र पहुंचाते समय वह अजीब अकार के पत्थरों को पहचानते और अपने साथ ले जाते थे. जहां वह दिन के समय पत्र बांटते हुए पत्थर इकट्ठा करते, वहीं रात में वह अपने आंगन में महल का निर्माण करते. और इस प्रकार अगले 33 सालों तक लगातार ऐसे ही काम करते हुए उन्होंने अकेले ही एक इमारत का निर्माण कर दिया. जो वास्तुकला का बेजोड़ नमूना बना.
सालों की मेहनत के बाद शेवल का महल पूरा हो चुका था जो करीब 26 मीटर लंबा और 12 मीटर ऊंचा था और साथ ही उनका जीवन भी लगभग बीत चुका था. अब वह 78 साल के हो चुके थे. और फिर इसके अगले ही साल 1924 में शेवल की मौत हो गई.
आइडियल पैलेस फ्रांस : फर्डिनेंड शेवल (Ferdinand Cheval) का महल .
इस महल की सबसे बड़ी खासियत इसकी वास्तुकला है, जिसमें हिन्दू मंदिरों, अरबी मस्जिदों और मध्यकालीन महलों का एक मिला जुला रूप देखने को मिलता है. इसके अलावा इस महल में कई और तरह की कारीगरी की गई है, जिसमें विभिन्न मूर्तियां, पक्षी, भालू, हाथी, दानव और परियों की मूर्तियां भी शामिल हैं.फर्डिनेंड शेवल (Ferdinand Cheval) की मृत्यु
शेवल अपने महल के अंदर एक मकबरा भी बनवाना चाहते थे, लेकिन फिर न जाने किस कारण से उन्होंने अपना ये फैसला बदल दिया. फिर उन्होंने पास ही के एक कब्रिस्तान में "टॉम्ब ऑफ़ साइलेंस एंड एंडलैस रैस्ट"(The Tomb of Silence and Endless Rest) नाम का एक मकबरा बनवाया. जो शेवल के आइडियल पैलेस से छोटा था, लेकिन इसकी भव्यता भी ठीक वैसी ही थी.शेवल जब जिंदा थे, तो उन्होंने अपनी मेहनत से बनाई गई इस कृति का पूरा आनंद लिया और मौत के बाद उन्हें उनके बनाए "टॉम्ब ऑफ़ साइलेंस एंड एंडलैस रैस्ट" में हमेशा के लिए दफना दिया गया.
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