द्रौपदी के प्रश्न - Mahabharat
ऐसा माना जाता है कि द्रौपदी ने युधिष्ठिर से यह प्रश्न किया था कि वह उसे दाँव पर लगाने से पहले स्वयं को हार बैठे थे अथवा नहीं।
इस प्रश्न के उत्तर में दो भिन्न मतों को प्रस्तुत किया गया।
प्रथम तो यह कि यदि युधिष्ठिर ने स्वयं को हार जाने के पश्चात द्रौपदी को दाँव पर लगाया तो यह अनुचित नहीं क्योंकि पत्नी पर पति का नियंत्रण सदैव रहता है।
दूसरा यह कि एक दासत्व स्वीकार करने वाला पुरुष (जैसे उस क्षण युधिष्ठिर थे) किसी और को दाँव पर नहीं लगा सकता।
इन मुद्दों का कोई निष्कर्ष नहीं निकला और अंततः धृतराष्ट्र ने सभी पांडवों और द्रौपदी को उनकी निजी स्वतंत्रता पुनः लौटा दी।
पर क्या आपको ऐसा लगता है कि यह प्रकरण इस बात की ओर इंगित करता है कि पत्नियों को पतियों की निजी संपत्ति माना जाए?
दूसरा यह कि एक दासत्व स्वीकार करने वाला पुरुष (जैसे उस क्षण युधिष्ठिर थे) किसी और को दाँव पर नहीं लगा सकता।
इन मुद्दों का कोई निष्कर्ष नहीं निकला और अंततः धृतराष्ट्र ने सभी पांडवों और द्रौपदी को उनकी निजी स्वतंत्रता पुनः लौटा दी।
पर क्या आपको ऐसा लगता है कि यह प्रकरण इस बात की ओर इंगित करता है कि पत्नियों को पतियों की निजी संपत्ति माना जाए?
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